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अमीर बहु गरीब सास की कहानी | Sas Bahu ki Kahani

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रेखा जी अभी अभी अपने पति मुकुल जी के लिये कॉफी बना कर किचन से निकली हीं थीं कि सामने से लता को आता देख कर उनका पारा चढ़ गया।

रेख जी: जब सारा काम हमें ही करना है तो तुम्हारा क्या काम है यहां तुम्हें पता नहीं है कि हमें सुबह उठते ही कॉफी पीने की आदत है।

लता: मांजी मैं आ ही रही थी लेकिन रवि को जल्दी ऑफिस जाना था उनके कपड़े प्रेस करने में टाईम लग गया।

रेखा जी: बस हर बात में बहाना पहले ही तैयार रहता है।

लता को शादी करके आये अभी केवल चार महीने ही हुए थे। यहां आकर उसे ऐसा लगने लगा था जैसे किसी जेल में आ गई है। उसे कहीं जाना हो तो परमीशन लेनी पड़ती थी। कोई गलती हो जाये तो पनिशमेंट मिलता था। सास ससुर और पति तीनों ही एक सुर में उसका विरोध करते थे।

कभी कभी तो मन करता कि यहां से भाग कर अपने पापा के घर चली जाये। लेकिन पापा हार्ट पेशेंट हैं यह सब उन्हें पता लग गया तो न जाने क्या अनर्थ हो जायेगा। यही सोच कर सब बर्दाशत करती रहती थी।

लता ने जल्दी जल्दी सबके लिये नाश्ता बनाया उसके बाद रवि को टिफिन पैक करके दे रही थी। तभी रवि ने आवाज दी –

रवि: लता क्या कर रही हों इतना टाईम नहीं है मेरे पास कार चला के नहीं जाना है मेट्रो में कितना समय लगता है तुम्हें पता है। जरा सा लेट पहुंचो तो ऑफिस में सुनना पड़ता है।

रवि की एक एक बात इस बात की ओर इशारा था कि उसके पिता ने कार नहीं दी थी। लेकिन वह अब सब सुन लेती है। पिता को कैसे बताये कि जिन्हें आपने उसका जीवनसाथी चुना था। वह पैसों का लालची है।

एक दिन शाम को रवि घर आया तो उसने अपने पापा से बात की

रवि: अब मुझसे नौकरी नहीं होती वो आपके पुराने दोस्त शर्मा जी मोटर पार्ट बनाते हैं मैं चाहता हूं कि उसकी सप्लाई शुरू करूं।

पापा: लेकिन बेटा उसके लिये तो कम से कम दस लाख रुपये चहिये होंगे वो कहां से आयेंगे।

रवि: वही सोच रहा हूं।

तभी लता चाय बना कर लाती है।

रवि: लता तुम अपने पापा से कुछ पैसे उधार ला सकती हों?

लता का सब्र जबाब दे चुका था। रोज रोज के तानों से दुःखी होकर, उसने जबाब दिया।

लता: रवि, मेरे पिता के भरोसे मत रहना उन्होंने मेरी शादी करके अपना फर्ज पूरा कर दिया। अगर आपको नौकरी करने में दिक्कत है तो मुझे जॉब करने दो। दोंनो मिल कर कमायेंगे।

यह सुनकर रवि का पारा चढ़ गया।

रवि: क्या बकवास कर रही हों ज्यादा जुबान चलने लगी है।

लता: रवि मैं बहुत बर्दाशत कर चुकी हूं। इसलिये मैंने जॉब करने का फैसला किया है।

रवि: नहीं हमारे घर में यह सब नहीं होता तुम्हें जॉब करनी है तो अपने घर चली जाओ।

लता: मुझे पता था आप यही कहेंगे। मैंने वकील से बात कर ली है मैं जल्द ही तलाक ले लूंगी।

यह सुनकर रवि और उसके पिता के हाथ पांव फूल गये।

तभी रेखा जी वहां आ गईं।

रेखा जी: देख लिया बहु को सिर पर चढ़ाने का नतीजा। निकाल दे इसको घर से बाहर।

लता: ठीक है मैं पुलिस को फोन कर देती हूं आप मेरा सारा सामान और दहेज वापस कर दीजिये साथ ही हर महीने अपने पति की कमाई का आधा हिस्सा मैं कोट से ले लूंगी, इस मकान में भी मेरा हिस्सा है आधा मकान मेरे नाम कर दीजिये।

रेखा जी: सुनो ये क्या कह रही है।

मुकुल जी: बेटी ऐसी बातें क्यों कर रही है। आज के बाद हम तुझसे कभी कुछ नहीं कहेंगे तू अपने कमरे में जा।

लता: नहीं पापा जी बहुत बर्दाशत कर चुकी मैं। अब मुझसे ये दिन भर के ताने बर्दाशत नहीं होते, आप लोग इतने लालची होंगे ये मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

रेखा जी: इसके बाप को फोन करके बुलाईये, इसके मुंह लगने से अच्छा है उनसे डायरेक्ट बात करते हैं।

लता: मांजी मेरे पिता हार्ट पेशेंट हैं अगर इस बात को सुन कर उन्हें कुछ हो गया, तो इसके जिम्मेदार आप लोग होंगे।

रवि: ये तुम्हें क्या हो गया? आज से पहले तो तुमने कभी ऐसी बात नहीं की।

लता: मैं आज तक आपके और मम्मी, पापा जी के हर ताने को बर्दाशत करती रही बीस लाख रुपये मेरे पापा ने शादी में खर्च किये फिर भी आपको कार चाहिये, बिजेनस करने के लिये पैसा चाहिये।

लता ने उसी समय अपना सामान पैक किया और घर छोड़ दिया। जाने से पहले उसने अपने सास-ससुर और पति तीनों को कहा –

लता: अगर मेरे पापा को आपने कुछ बताया तो मैं आपको अरेस्ट करा दूंगी। तलाक का नोटिस आपको मिल जायेगा चुपचाप साईन कर देना।

लता वहां से निकल कर अपनी एक सहेली के फ्लेट में पहुंच गई।

एक दिन पहले उसी ने उसे हक के साथ अपना आत्मसम्मान बचाने के लिये समझाया था।

लता: कोमल मैं आ तो गई हूं। लेकिन अब आगे क्या होगा?

कोमल: चिंता मत कर मैंने बात कर ली है मेरे ऑफिस में जगह खाली है कल से तू जॉब करेगी और मेरे साथ रहेगी।

एक महीने तक जॉब करने के बाद लता एक दिन अपने घर जाती है और पिताजी को सारी बात बताती है। उसकी बात सुनकर उसके पिता कहते हैं –

पिता: बेटा मुझे तूने क्यों नहीं बताया?

लता: पापा आपने मेरे लिये बहुत कुछ किया है। अब मैं आपको परेशान करना नहीं चाहती थी।

पिता: बेटी मैं इतना कमजोर नहीं हूं। तू चिन्ता मत कर घर आजा।

लता: नहीं पापा मुझे कुछ समय दीजिये अपने पैरों पर खड़ा होने दीजिये अपनी एक पहचान बनाने दीजिये।

कुछ ही महीने केस चलने के बाद रवि और लता का तलाक हो गया। रवि को पूरा दहेज और तीस लाख रुपये देने पड़े साथ ही हर महीने अपनी सैलरी का एक हिस्सा वह कोर्ट में जमा करवाता था।

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